तैत्तरीय उपनिषद् वाक्य
उच्चारण: [ taitetriy upenised ]
उदाहरण वाक्य
- तैत्तरीय उपनिषद् कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तरीय आरण्यक का ७, ८, ९वाँ प्रपाठक है।
- तैत्तरीय उपनिषद् कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तरीय आरण्यक का ७, ८, ९वाँ प्रपाठक है।
- अब देखिये, तैत्तरीय उपनिषद् में साफ़ साफ़ कहा है-आनंदो ब्रह्मेति व्यजानात्...
- आयु और प्राण के संबन्ध में तैत्तरीय उपनिषद् के मंत्र द्वारा प्राण के बारे में लिखा गया है-
- तैत्तरीय उपनिषद् में असत् से सत् की उत्पत्ति बतलाई गई है, किंतु शब्द वैभिन्नय रहने पर भी दोनों के तात्पर्य समान हैं।
- तैत्तरीय उपनिषद् अत्यंत महत्वपूर्ण प्राचीनतम दस उपनिषदों में सप्तम तैत्तरीयोपनिषद् है जो कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तरीय आरण्यक का 7, 8, 9वाँ प्रपाठक है और शिक्षावल्ली, ब्रह्मानंदवल्ली और भृगुवल्ली इन तन खंडों में विभक्त है।
- तैत्तरीय उपनिषद् अत्यंत महत्वपूर्ण प्राचीनतम दस उपनिषदों में सप्तम तैत्तरीयोपनिषद् है जो कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तरीय आरण्यक का 7, 8, 9वाँ प्रपाठक है और शिक्षावल्ली, ब्रह्मानंदवल्ली और भृगुवल्ली इन तन खंडों में विभक्त है।
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